गुरुवार, 31 जनवरी 2008
Rock Stars - Part 1
दिल थाम के रखिये - हम आप को मिलाने जा रहे हैं कुछ रॉक स्टार्स से। वैसे तो प्रतिभा की कोई कमी नहीं, पर शुरूआत करते हैं हिमेश रेशमिया के भारी फैन डाक्टर पवन ध्यानी से।
हमारा ये रॉक स्टार हमेशा से ऐसा नहीं था। वह भी हमारी ही तरह एक सीधा सादा लड़का हुआ करता था। पर फरवरी २००६ की एक शाम राकेश कहीं से एक नया गिटार खरीद लाया। पूरे २५०० रूपये उस जादुई चीज पर खर्च किये गए थे। अब इस निवेश का कुछ तो फायदा उठाना था। तो उस दिन पूरा समर्पण फोटोग्राफी पर किया गया। ध्यानी जी कभी इस एंगल से फोटो खिंचवाते, तो कभी उस एंगल से। चीलनरेश अवध भी पीछे नहीं थे, तो फिर क्या था - उस दिन २४४ फोटो खींची गयी। राकेश ने म्यूजिक क्लासेज जाना शुरू कर दिया और ध्यानी ने अपने आफिस के प्रिंटर को म्यूजिक की सेवा में झोंक दिया। रोज हजारों पन्ने संगीत के अक्षरों से भरे हुए लाये जाते और जमकर रियाज होता, मानो हिमेश रेशमिया की आत्मा ध्यानी में समा गयी थी। सुबह सुबह वो कर्कश स्वर झेलना हमें पड़ता था। रोज ऊपर वाले से गुहार लगाते की उठा ले रे बाबा उठा ले, इस गिटार को उठा ले। राकेश के सर का भूत तो ४-५ दिन में ही उतर गया, पर ध्यानी जी के गायन को हमें महीने भर झेलना पड़ा। बस यही सकून था कि आख़िर निजात तो मिली। वो गिटार १८०० रूपये में एक महीने बाद बेच दिया गया।
बाद में सुनने में आया कि विजय ने भी एक गिटार खरीदा जिसने कई और रॉक स्टार्स को जन्म दिया। ध्यानी जी का जन्म फिर से हुआ। फिर से कई सारी फोटो खींची गयी, कई सुरों को बेसुरा किया गया और कई सज्जन इंसानों के कान फोड़ दिए गए। पर अन्तिम परिणाम वही - ढाक के तीन पात।
आजकल जिसे देखो गिटार बजाने - सीखने की धुन है। जो बचा, उसे गिटार के साथ फोटो खिंचवाने की धुन है। मानो गिटार ना हुआ, अलादीन का चिराग हो गया।
आज के लिए इतना ही, पर हम आगे आने वाले भागों में गिटार की महिमा का और जाप करेंगे। अभी तो कुछ और भी रॉक स्टार बाकी हैं। तो फिर कीजिए थोड़ा सा इन्तजार ...
(Double click the snap above and check it out for summary:-)
- नीरज मठपाल
जनवरी ३१, २००८
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