कवि -
कोई जन्मा तो कोई मरण की गोद में समाया
कोई जवानी की शरण में बढ़ा तो कोई बुढ़ापे की
ये चक्र क्या है जन्म मरण का
इस भूलभुलैया को कोई क्या सुलझा पाया
मरण -
ये क्या हो रहा है ये क्यों हो रहा है
क्यों लोग रो रहे हैं क्यों लोग दुखी हैं
जब शरीर छोड़ते जीव ने आस पास देखा
तो कुछ भी पूछ ना पाया
बुढ़ापा -
खाना चबाना थोड़ा मुश्किल होने लगा
चार सीढ़ियां चढ़ना थोड़ा मुश्किल होने लगा
जब बुढ़ापे ने जवानी की तरफ देखा
तो इस अंतर का कारण पूछने लगा
खाना चबाना थोड़ा मुश्किल होने लगा
चार सीढ़ियां चढ़ना थोड़ा मुश्किल होने लगा
जब बुढ़ापे ने जवानी की तरफ देखा
तो इस अंतर का कारण पूछने लगा
जवानी -
समय का अभाव मुंडी हिलाने लगा
एकाग्रता की स्याही सूखने लगी
जब जवानी ने बचपन की तरफ देखा
तो इस अंतर का कारण पूछने लगी
बचपन -
खेलते खेलते थकान का नाम ना आया
गहरी नींद में सपने का भान ना आया
जब बचपन ने बुढ़ापे की तरफ देखा
तो इस अंतर का कारण पूछने लगा
जन्म -
ये क्या हो रहा है ये क्यों हो रहा है
क्यों लोग हंस रहे हैं क्यों लोग खुश हैं
जब जन्मे बच्चे ने आस पास देखा
तो कुछ भी पूछ ना पाया
- नीरज मठपाल
जुलाई २५, २०१३
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