प्रथम को अग्रसर करता द्वितीय बिन्दु
हृदयपट पर अंकित होते चित्र
तन में घुलती मधुर स्मृतियाँ
नयनों में बसती ज्यामिती
कानों में बारम्बार दस्तक देती मिठास
कपाल पर झूलती अश्रुमिश्रित केशराशियाँ
ढलती गोधूलि के बीच
नयनों से झरते अश्रु
शांत होती जाती धड़कनें
हाथों में घबराहट का आभास देकर
पलकों को घिसती अंगुलियाँ
मिलन का ये अद्भुत द्वितीय बिन्दु
- नीरज मठपाल
नवम्बर २१, २००८
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oye kiske milne ki kushi mein likh di ye...acchi hain vese bahut
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