प्रभात रेखा के दृगावरण से टकराते ही तंत्रिका तंत्र में एक मधुर झंकार हुई। मध्यमा और तर्जनी ने कम्पन करते हुए ललाट को संकुचित होने का संदेश दिया। संकुचन के पश्चात् एक स्वर गूंजा और अनुभव प्रथम बन्धन के चक्रव्यूह को भेद चुका था। क्या भेदन के लिए ॐ या अन्य कोई स्वर समूह आवश्यक था? या कोई प्रेरणा आवश्यक थी? संभवतः हाँ। अवचेतन से चेतन में आने के लिए एक ध्वनि या एक प्रेरणा आवश्यक है।
- नीरज मठपाल
फरवरी २०, २००४
- नीरज मठपाल
फरवरी २०, २००४
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