शनिवार, 19 मई 2012

उसकी बात

बैठे हुए उस तिपहिया वाहन में 
उसने मुझे अकेला पाकर 
कह दी अपने दिल की बात 
जैसे उसके मन में कई दिन से छिपी हो वो बात 
जैसे मन को हल्का करने को निकलनी जरूरी हो वो बात 

हमें पता था कि वो उसे चाहता है 
उसे भी पता था कि वो उसे चाहता है 
हमारे दोस्तों को भी पता था वो उसे चाहता है 
पर प्रश्न यही कि वो उसे क्यों चाहता है 
उसे भी पता था कि यही प्रश्न है 

उसे उत्तर तो पता था लेकिन हमें नहीं 
बैठे हुए उस तिपहिया वाहन में 
उसने मुझे अकेला पाकर 
कह दी उस उत्तर की बात 
कह दी अपने दिल की बात 

जब भीड़ में हो तो आपकी 
संवेदनाएं भी लुप्तप्राय हो जाती हैं 
जब अकेले हों तो आपकी 
संवेदनाएं उभर कर सामने आती हैं 
शायद तभी मैंने थोड़ा समझ ली उसके दिल की बात 

कुछ महीने बाद पता चला 
सबने समझी उसके दिल की बात 
किसी ने बैठे हुए किसी 'रेस्टोरेंट' में 
तो किसी ने रसोई के छोटे कोने में 
समझी उसके धड़कते दिल की बात 

बैठे हुए एक दूसरे चौपहिया वाहन में 
उन्होंने मुझे अकेला पाकर 
जब अनकहे ही कह दी अपने दिल की बात 
तभी मैंने पूरी तरह समझी 
उसके धड़कते दिल की बात 

- नीरज मठपाल 
मई 18, 2012