बैठे हुए उस तिपहिया वाहन में
उसने मुझे अकेला पाकर
कह दी अपने दिल की बात
जैसे उसके मन में कई दिन से छिपी हो वो बात
जैसे मन को हल्का करने को निकलनी जरूरी हो वो बात
हमें पता था कि वो उसे चाहता है
उसे भी पता था कि वो उसे चाहता है
हमारे दोस्तों को भी पता था वो उसे चाहता है
पर प्रश्न यही कि वो उसे क्यों चाहता है
उसे भी पता था कि यही प्रश्न है
उसे उत्तर तो पता था लेकिन हमें नहीं
बैठे हुए उस तिपहिया वाहन में
उसने मुझे अकेला पाकर
कह दी उस उत्तर की बात
कह दी अपने दिल की बात
जब भीड़ में हो तो आपकी
संवेदनाएं भी लुप्तप्राय हो जाती हैं
जब अकेले हों तो आपकी
संवेदनाएं उभर कर सामने आती हैं
शायद तभी मैंने थोड़ा समझ ली उसके दिल की बात
कुछ महीने बाद पता चला
सबने समझी उसके दिल की बात
किसी ने बैठे हुए किसी 'रेस्टोरेंट' में
तो किसी ने रसोई के छोटे कोने में
समझी उसके धड़कते दिल की बात
बैठे हुए एक दूसरे चौपहिया वाहन में
उन्होंने मुझे अकेला पाकर
जब अनकहे ही कह दी अपने दिल की बात
तभी मैंने पूरी तरह समझी
उसके धड़कते दिल की बात
- नीरज मठपाल
मई 18, 2012
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