रविवार, 12 अक्तूबर 2008

इंतजार के बीस मिनट

धैर्य का प्रारूप देखिये
जिसने दिनों को क्षणों में परिवर्तित कर दिया

अधैर्य का भी ब्यौरा दीजिये
जिसने कुछ क्षणों को पूरा जन्म बना दिया

धैर्य - अधैर्य का खेल है ही निराला
जिसने बढ़िया खेला, पर्वत को पानी बना दिया

प्रश्न है कि इंतजार के बीस मिनटों ने
लोहे को पिघलाकर वाष्प कैसे बना दिया?

- नीरज मठपाल
अक्टूबर १२, २००८

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