शनिवार, 1 मार्च 2008

Rock Star - Part 3 (Last Part)


वैलेंटाइन के जन्म दिन के उपलक्ष्य में हम आप लोगों के सामने रॉक स्टार की आखिरी किश्त लेकर हाजिर हुए हैं। संक्षेप में पहले इन दो विभूतियों का परिचय दूँ फ़िर आपको इनका एक वार्तालाप सुनाता हूँ।
पहली विभूती तो साक्षात चिंगारी है। नन्ही सी जान और चतुरता चतुर सिंह सी।
दूसरी विभूती की नॉएडा में हलवाई की दुकान है, इनकी मिठाइयों के पास मक्खियाँ तो खूब भिनभिनाती हैं, पर लड़की आज तक कोई नहीं फटकी।
चिंगारी अभी अभी लन्दन का एक राउंड मार के लौटा था, दिन १४ फरवरी का था तो वो पहुँच जाता है अपने हलवाई की दुकान में, कि क्या पता आज कुछ चमत्कार हो जाए। जैसे ही वह दुकान पर पहुंचता है तो देखता है कि जोरों से गाना लगा हुआ है -


"अजी रूठ कर अब कहाँ जाइयेगा,
जहाँ जाइयेगा, हमें पाइयेगा"

अब हम आपको इनका सीधा वार्तालाप सुनाने ले चलते हैं सीधे नोइडा कि उसी दुकान पर:


चिंगारी : अरे हलवाई क्या रे ऐसे ही जिंदगी बिगाड़ता रहेगा? पंजाब बैंक में पोस्ट निकली हैं । में तो भर रहा हूँ।
हलवाई : (मन ही मन में सोचता है) बहुत सयाना है। मुझसे ऐसा कह कह के ३-४ फार्म भरवा चुका है। पेपर के दिन ही पता चलता है वो तो सो रहा है आराम से। आज तो इसे ऎसी कड़वी जलेबी खिलाऊंगा की याद रखेगा।


चिंगारी : अबे किस सोच में डूब गया। सामने देख कस्टमर आयी है। ज्यादा मिठाई देना उसे।
हलवाई : (देखकर कस्टमर को सोचता है - हाय जालिम, काश में ख़ुद ही मिठाई होता, आज इनके थोड़ा नजदीक तो जाता। मेरे कानो में तो अब वायलिन भी बजने लगा है। दिन भी अच्छा है)

कस्टमर : अरे भाई साहब, कहाँ सोये हो? मिठाई तो आज ही दोगे न?
(बच्चा उर्फ़ चिंगारी जोर जोर से हँसने लगता है, हलवाई खिसिया जाता है)

हलवाई : (सोचता है - कसम से आज तो दुकान बंद करके स्मार्ट बन कर अपनी बाइक पर निकल जाना चाहिए किसी यूनिवर्सिटी कैम्पस में। और इस बच्चे को भी ले चलते हैं गिटार के साथ, क्या पता इस नमूने की पोज देखकर ही कोई आ जाए)


चिंगारी : (गाली देता है) आज दिन भर सोचता ही रहेगा या कुछ करेगा भी? आज तो तेरी मिठाई ना बिकेगी ज्यादा। ये दिन तो आइसक्रीम, फूलों और कार्ड्स का है। चल कहीं और चलें।

हलवाई : (तैयार होने लगता है पर फ़िर सोचता है - गधा घास से दोस्ती करेगा तो खायेगा क्या)
चिंगारी : इतना तो आशुतोष ने भी नहीं सोचा होगा जोधा अकबर बनाते समय, जितना तू सोच रहा है। क्या तेरा खून पानी हो गया है? क्या तुझे खानपुर कि गायों का दूध नहीं पिलाया गया बचपन में? क्या भारत की धरती ने सपूतों को जन्म देना बंद कर दिया है?

हलवाई : (इतना सुनकर जोश में आ जाता है, और दोनों निकल पड़ते हैं अपने वेलेंटाइन कि खोज में)


- नीरज मठपाल

फरवरी १५, २००८


पुनश्च : हम आपको बता दें कि आज फरवरी खत्म होने वाली है और आज भी ये दोनों लाल किले के पास डेरा लगा कर बैठे हुए हैं किसी के इंतजार में। ये थोड़ा अलग तरह के रॉक स्टार हैं। कोई बारिश , कोई तूफान इन्हें वहाँ से हिला नहीं सकता। हलवाई आज भी सिर्फ़ सोचता है, और बाकी तो चिंगारी साथ है ही ना।

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