शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010

हस्ताक्षर

आपका पद आपका पैसा
बोलेगा
आपके हस्ताक्षर का मूल्य क्या है?
लेखक के हस्ताक्षर
कुछ बोलते नहीं ।

- नीरज मठपाल
अक्टूबर १, २०१०

3 टिप्‍पणियां:

  1. चण्द शब्दों मे आज के क्रूर सत्य को उजागर किया है। धन्यवाद।

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  2. क्षणिका को दूसरे अर्थ में लें तो यह लेखक का अभिमान भी दिखाती है, जो उचित सा भी प्रतीत होता है| यदि कहानीकार, इतिहासकार राजे महाराजे, देश विदेश, आदि के सम्बन्ध में न लिखते, तो शायद इतिहास कहीं खो गया होता और आज पुरातत्व वेत्ता उसे ढूँढने का प्रयास कर रहे होते| लेखक के हस्तों (हाथों) से अंकित होते अक्षर वास्तव में ही समाज का आईना बनते हैं| उनका मूल्य एक जीवन में महसूस करना पद और पैसे से परे है|

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  3. जब कोई संपादक लिखता है तो उन हस्थाक्श्रों का एक मूल्य हो जाता है...हस्ताक्षर हमें भीड़ मैं अलग करते हैं.....विचार भी एक प्रकार से हस्ताक्षर ही हैं......

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