मंगलवार, 28 सितंबर 2010

फैसला

सिन्दूरी लाल दिवाकर
रंग केसरिया तिलक
हरित चित्र
टिमटिमाती चंद्ररात

भोर न हो
रक्तिम लाल
न हो
स्याह रात


- नीरज मठपाल
सितम्बर २८, २०१०

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही बेहतर क्षणिका हैं.आपकी सारी कवितायेँ बहुत ही बेहतरीन हैं.आप सें काफी उमीदें हैं कविता लेखन के क्षेत्र में.आपके उत्तम भविष्य के लिए शुभकामनाएं .

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  2. अति सुन्दर ..... धार दार होते जा रहे हो....

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