आवाज़
क्या सिर्फ़ एक आवाज़ भर
केवल एक शब्द
जैसे वैज्ञानिक शब्द ध्वनि
और उसका समस्त विज्ञान।
क्यों वो आवाज़ बीच – बीच में
अलग सुनाई देती है।
सिर्फ इसीलिये कि वह
वो आवाज़ नही
जो हमारे कान सुनना चाहते हैं।
ये वो बातें नही
जो हमारा मन सुनना चाहता है।
क्यों नियंत्रण
वो भी पर-ध्वनि पर
पर-सोच पर।
संभव भी नहीं कि
श्रोत और श्रोता समान सोचें।
पर तब क्या जब
श्रोत और श्रोता एक ही हों।
भिन्न स्थान – विमाओं मे होते हुए भी
कैसे अलग अस्तित्व को स्वीकार करें।
ये भी तो संभव नहीं।
- नीरज मठपाल
जुलाई, २००६
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