शनिवार, 21 अप्रैल 2007

अश्वमेध

सूर्य था गतिमान
चन्द्र भी गतिमान
चल पड़े कदम मेरे भी
मैंने भी होना था गतिमान।

सूर्य की तपन
चन्द्र की शीतलता
दोनों जैसे ही मिले मुझको
मैंने भी होना था गतिमान।

किरणों ने ना मोड़े कदम
चांदनी ने कहाँ जाना था थम
सामने थे कुछ नए प्रतिमान
मैंने भी होना था गतिमान।

- नीरज मठपाल
अप्रैल २०, २००४

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